मध्य भारत का अजीमुश्शान मरकजे इल्म वो फन मदरसा इसलाहुल मुसलेमीन व दारुल यतामा रायपुर जिसने कुफरिस्तान मे इस्लाम का चिराग जलाकर न सिर्फ लाखों मुसलमानों के कुलूब को इस्लामी अनवार वो तजल्लियात से रौशन वो मुनव्वर किया बल्कि हजारों गैर मुस्लिमों को इस्लाम के दामन से बावस्ता करके तबलीगे इस्लाम अजीम फरीजा भी अनजाम दिया। येह इदारा इल्म वो इरफान और ईमान वो इस्लाम की तजल्लियात का ऐसा मर्कज है जहां एक तरफ कुफ्र वो इल्हाद से मुकाबला करने वाली फौज तय्यार होती है तो दुसरी तरफ गैर मुस्लिमों में इस्लाम का पैगाम पहुंचाने वाले मुजाहेदीन भी ढला करते हैं।
हर साल हाफिजों,कारियों और उल्मा का एक नूरानी काफिला सरों पर दस्तारे फजीलत का ताज लिये इल्मी वो दीनी उमंगों से सरशार अहले जौक को दावते फिक्र देता है कि वो गुलशने इल्म वो फन मे अपने जौक की तकमील का नज्जारा करें और अपनी कुर्बानीयों और दीनी उमंगों के इस गुलशन से अपने कल्बो जिगर को मोअत्तर और फिकरो नजर को रौशन करें।जिस की खुश्बू से कब्र से लेकर हश्र वो नश्र तक नूर वो नकहत का न टूटने वाला एक सिलसिला है। एक गैर मुस्लिम हुकूमत मे,एक लादीनी स्टेट में, एक इस्लाम ताकत के हुजूम में इल्म वो इरफान के इस मर्कज ने इश्क वो वफा के जो फूल खिलाए हैं और इल्म वो इरफान के लाल वो जवाहेरात बिखेर कर तारिखे वफा में अपने खूने जिगर की सुर्खी काएम की है उस से एक जहां की आंखे चका चौंद और दिल वो दिमाग मबहूत हैं
इल्म वो इरफान का झरनाः-
मध्य भारत में इस्लाम के चिराग़ को अपने खूने जिगर से जलाने वाला यह इदारा आज मुल्क व मिल्लत की धडकन बन चुका है।जहां एक तरफ जहालत वो पस्मांदगी के दल दल मे फंसी क़ौम और ग़रीब वो मफलूकुल हाल लोगों के यतीम वो नादार बच्चों के सीने मे रूहे बिलाली और जज़्बए हुसैनी पैदा करने के लिये हमा वक्त एक अज़ीम इल्मी काफिला इस के दस्तर ख्वान पर शब वो रोज पलता नज़र आता है वहीं दुनियावी उलूम वो फुनून और टेक्निकल तालीम वो तर्बियत के लिये टेक्निकल इन्सटीटियूट और एंगलो उर्दू हाईस्कूल * ज़रिये उंहे मआशी वो इल्मी तौर पर खुद कफील बनाने और आने वाले वक्त का मुक़ाबला करने के लिये आज भी यह इदारा मुसलसल कोशिशों और लगातार क़ुर्बानियों के मराहिल से गुजर रहा है और फिर आज़ादिये हिन्दुस्तान से लेकर आज तक हर दौर मे इस ने तहफ्फुजे कौम वो मिल्लत का ज़बरदस्त फरीजा भी अनजाम दिया है।शरीअत(इस्लामी ला)मे तबदीली का मसला हो या मुसलमानों को दीन से दूर कर ने की इस्लाम दुश्मन तहरीक,तकसीमे हिन्द के वक्त मुसलमानों को भारत से भगाने की शर्मनाक साजिश हो या अज़मते इस्लाम और क़ुरआन वो सुन्नत को दाग़दार कर ने का सहयूनी मंसूबा। हर जगह यह इदारा इस्लाम का सिपाही बन कर दुश्मनाने इस्लीम की साजिशों से मुक़ाबला करता रहा। जिस की वजह से न सिर्फ मुसलमानों के दीन वो ईमान की हिफाज़त होती रही बल्कि जगह जगह यहां से पढकर निकलने वालों की एक फौज आज भी इस्लाम दुश्मन ताक़तों का कामयाब मुक़ाबला कर रही है।
हर साल हाफिजों,कारियों और उल्मा का एक नूरानी काफिला सरों पर दस्तारे फजीलत का ताज लिये इल्मी वो दीनी उमंगों से सरशार अहले जौक को दावते फिक्र देता है कि वो गुलशने इल्म वो फन मे अपने जौक की तकमील का नज्जारा करें और अपनी कुर्बानीयों और दीनी उमंगों के इस गुलशन से अपने कल्बो जिगर को मोअत्तर और फिकरो नजर को रौशन करें।जिस की खुश्बू से कब्र से लेकर हश्र वो नश्र तक नूर वो नकहत का न टूटने वाला एक सिलसिला है। एक गैर मुस्लिम हुकूमत मे,एक लादीनी स्टेट में, एक इस्लाम ताकत के हुजूम में इल्म वो इरफान के इस मर्कज ने इश्क वो वफा के जो फूल खिलाए हैं और इल्म वो इरफान के लाल वो जवाहेरात बिखेर कर तारिखे वफा में अपने खूने जिगर की सुर्खी काएम की है उस से एक जहां की आंखे चका चौंद और दिल वो दिमाग मबहूत हैं
इल्म वो इरफान का झरनाः-
मध्य भारत में इस्लाम के चिराग़ को अपने खूने जिगर से जलाने वाला यह इदारा आज मुल्क व मिल्लत की धडकन बन चुका है।जहां एक तरफ जहालत वो पस्मांदगी के दल दल मे फंसी क़ौम और ग़रीब वो मफलूकुल हाल लोगों के यतीम वो नादार बच्चों के सीने मे रूहे बिलाली और जज़्बए हुसैनी पैदा करने के लिये हमा वक्त एक अज़ीम इल्मी काफिला इस के दस्तर ख्वान पर शब वो रोज पलता नज़र आता है वहीं दुनियावी उलूम वो फुनून और टेक्निकल तालीम वो तर्बियत के लिये टेक्निकल इन्सटीटियूट और एंगलो उर्दू हाईस्कूल * ज़रिये उंहे मआशी वो इल्मी तौर पर खुद कफील बनाने और आने वाले वक्त का मुक़ाबला करने के लिये आज भी यह इदारा मुसलसल कोशिशों और लगातार क़ुर्बानियों के मराहिल से गुजर रहा है और फिर आज़ादिये हिन्दुस्तान से लेकर आज तक हर दौर मे इस ने तहफ्फुजे कौम वो मिल्लत का ज़बरदस्त फरीजा भी अनजाम दिया है।शरीअत(इस्लामी ला)मे तबदीली का मसला हो या मुसलमानों को दीन से दूर कर ने की इस्लाम दुश्मन तहरीक,तकसीमे हिन्द के वक्त मुसलमानों को भारत से भगाने की शर्मनाक साजिश हो या अज़मते इस्लाम और क़ुरआन वो सुन्नत को दाग़दार कर ने का सहयूनी मंसूबा। हर जगह यह इदारा इस्लाम का सिपाही बन कर दुश्मनाने इस्लीम की साजिशों से मुक़ाबला करता रहा। जिस की वजह से न सिर्फ मुसलमानों के दीन वो ईमान की हिफाज़त होती रही बल्कि जगह जगह यहां से पढकर निकलने वालों की एक फौज आज भी इस्लाम दुश्मन ताक़तों का कामयाब मुक़ाबला कर रही है।