मोहसिने मिल्लत

मोहसिने मिल्लत

यह सब फैज़ है गुलशने फारूकियत के गुले सरसब्द,खलीफाए आला हजरत मोहसिने मिल्लत हज़रत मौलाना शाह हामिद अली साहब फारूकी अलैहिर्रहमा वर्रिदवान का। जिनके खुलूस वो मोहब्बत ने और आहे सेहर गाही ने कौम मे नई रूह फूंकी। आप की लगातार कोशिश,दिन रात की मेहनत,इस्लाम की सर बुलंदी का बे पनाह शौक,मुसलमानों की हिफाजत वो बका का दाईय्या और दीन के फैलाने और दिलों को

गुलशने इस्लाम से मोअत्र वो मुनव्वर करने का सच्चा जज़बा।जिसने कुफरिस्तान में इस्लाम का चिराग जलाकर उन्हें इस्लाम पर जीने वो मरने का वोह रौशन वो ताबनाक हौससा अता किया जिसके सामने आकाश गंगा की मधूरता भी लज्जवान है।

हजरत मोहसिने मिल्लत का जन्म हिन्दुस्तान के मशहूर शहर इलाहाबाद के पास काजी पुर चंद्हा मे  1889ई. में हुआ। खानदानी तौर पर आप सुलतानुल आरेफीन हजरत बाबा फरीदुद्दीन गंज शकर से सतरहवीं पुश्त पर थे जो अमीरुल मोमेनीन सय्यदना उमरे फारूक (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) के परिवार से थे। आप के वालिद जनाब हाजी शाकिर अली फारूकी मौजा बिहार जिला प्रताब गढ (यु.पी.)में एक माने हुये जमीनदार थे। शुरू में अर्बी, फारसी और हिफ्जे कुरआन आप ने वहीं किया और फिर आला तालीम के लिये पहले फेरंगी महल लखनऊ (यू.पी.) गऐ और कुछ साल वहां रहने के बाद आप आला हजरत फाजिले बरेलवी (रदिअल्लाहो अन्हो) जैसी दुनियाए इस्लाम की अजीम शख्सियत के पास चहुंच गये। जहां आप को वो सब कुछ मिला जिसका किसी ने तसव्वुर भी नही किया था। जहां से आप को 1919ई.(1338हि.) में दस्तारे फजीलत से नवाजा गया। 1920ई. में आप रायपुर तशरीफ लाए। उस वक्त पुरे हिन्दुस्तान में अंग्रेजों का जुल्म वो सितम शवाब पर था और हर जगह आजादी की आग भडक रही थी। आप ने भी बढ चढ कर हिस्सा लिया और 19,जुलाई 1922ई.में धारा 144 A के अंर्त गत आप को जेल में डाल दिया गया।

जहां आप 12, दिसम्बर 1923ई.तक रहे। जेल से निकलने के बाद आपने मध्य भारत का दौरा किया तो पता चला कि यहां हर तरफ जहालत है। पुरा इलाका इल्म से दूर है।जिस से आप बेहद दुखी हुए और फिर मुसलमानों के दीन वो ईमान को बचाने केलिये आपने 1924ई.में मदरसा इसलाहुल मुस्लेमीन की बुनियाद डाली और अपनी सारी जिन्दगी आप ने इल्म को फैलाने में और मुसलमानों को संवार ने में गुजार दी।इस के लिये आप गाँव गांव जाते और रात रात भर पैदल सफर करते। इस तरह आपने पूरे क्षेत्र में इल्म का ऐसा चिराग जलाया जिस की रौशनी हिन्दुस्तान से लेकर कब्रिस्तान तक हर जगह फैलने लगी। आप का विसाल 25,अप्रेल 1968ई.को हुआ और रायपुर ही में हजरत फाते शाह की दरगाह मे आप का मजार आज भी लोगों को बरकतें देरहा है। आप फरमाया करते थे

@ जब तक मेरी कौम का हर बच्चा इल्म की रौशनी से मुनव्वर नहीं हो जाता तब तक मेरी जद्दो जेहद(कोशिश)जारी रहेगी।

@ इल्मी दुनियां में मैं अपनी कौम के बच्चों का मुकद्दर सुतारों से भी बुलन्द देखना चाहता हूँ।

@ घने जंगल के उस कोने तक और पहाडों की उन गुफाओं तक जो आज भी रौशनी केलिये तरस रहे हैं। मेरी तमन्ना है कि मैं वहां भी इल्म की शमा रौशन करूं।

@   मेरी ज़िन्दगी का मकसदे अस्ली अपनी क़ौम और मुल्क की फलाह वो बहबूदी और उसकी तरक्क़ी में पोशीदा (छुपा)है।

बुल बुले छत्तिसगढ़ मौलाना याकूब कैसर साहब कहते हैं।

फ़ज्ले ख़ुदा पे फैज़ नबूवत पे नाज़ है।
एक नायबे नबी की नियाबत पे नाज़ है।
खिदमाते दीन उल्फते मिल्लत को देखकर।
छत्तिसगढ़ को मोहसिने मिल्लत पे नाज़ है।
आप के दो साहेबजादे थे।उन में बडे लडके का नाम मौलाना फारुक अली फारुकी था जो आप के जानशीन(उत्तरधीकारी)थे और दुसरे लडके का नाम जनाब महमूद अली फारूकी है जो डिस्ट्रक जज रह चुके हैं।

हजरत मोहसिने मिल्लत के इंतेकाल के बाद आप के जानशीन मौलाना फारुक अली फारुकी साहब ने आप के मेशन को काफी बढाया,आप ने लगभग 32,मस्जिदें, 7,मदरसे, और 3, स्कूल की बुनीयाद डाल कर नए मुस्तकबिल की तामीर का प्रोग्राम बनाया।खुसूसन एंग्लो उर्दू को हाई स्कूल तक पहुंचाने में आप की कुर्बानियां ला ज़वाल हैं। जो कभी अपने पुरे क्षेत्र का एक बहुत बडा इल्मी सेंटर था। आप एक उर्दू युनिवर्सिटी का प्रोग्राम भी रखते थे मगर आप की जिन्दगी ने ज्यादा वफा नहीं किया जुलाई 1969ई.में आप के इन्तिकाल से बहुत से इल्मी प्रोग्राम दम तोड गए।

आप के 5,साहेबजादे और 4,साहेबजादियां हैं

1, मौलाना मोहम्मद अली फारूकी आप के जानशीन हैं। मदरसे की जिम्मेदारी के साथ साथ कई साल तक आप आर. एस. युनिवर्सिटी में अर्बी के प्रोफेसर भी रहे हैं। इल्मी खिदमात पर राष्ट्र पति ए.पी.जे.अब्दुल कलाम साहब के हाथों आप को सम्मानित भी किया जा चुका है।आप के बारे मे और मालूमात केलिये * दबाएं।

2, आली जनाब अहमद अली फारूकी (रेंजर)

3, मौलाना अकबर अली फारूकी जनरल सिक्रेट्री और चेयरमैन गरीब नवाज एजूकेशन सोसाएटी और मोहसिने मिल्लत तिब्बिया कालेज।

4,जनाब जफर अली फारूकी जनरल सिक्रेट्री हामिद अली एजूकेशन सोसाएटी, सुपर वाइज़र इक्ज़ाम रायपुर (मौलाना आज़ाद उर्दू युनिवर्सिटी),चेयरमैन कम्पयुटर डिपार्टमेंट।

5, डा. कासिम अली फारूकी(MBBS) डा. एडवाइज़र तिब्बिया कालेज एंड एजूकेशन सुसायटी

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मदरसा इस्लाहुल मुस्लेमीन जो एक अर्बिक युनिवर्सिटी है आपके शहर रायपुर को व बेरुनी शहर को दिलो जान से इस्लामीक खिदमात अंजाम दे रहा है । आप हज़रात से गुज़ारिश है कि हमारे मदरसे को ज़्यादा से ज्यादा ताउन फरमाकर सवाबे दारैन हासिल करें मदरसा में तालीमी साल शुरू हो चूका है तालीमी मियर बुलंद करने के लिए पुराने मुद्रिसिंन के अलावा नये मुद्र्रिसिंन का भी इजा फा किया गया है राब्ता करने का तरिका :

बैंक का नाम : भारतीय स्टेट बैंक
खाते का नाम : Mohammad Ali Farooqui
खाता संख्या : 30913259716
मोबाइल नंबर : 9425231208 / 7869228125